लेकिन इस पर जिस तरह की नियुक्तियां की जा रही हैं, उससे इस पद की विश्वसनीयता भी समाप्त हो गयी है।
2.
किन्तु संसद द्वारा देश को दिए गए आश्वासन के अनुरूप लोकपाल बिल की सिफारिशे न लाये जाने, गृहमंत्री के अत्यंत गरिमामयी पद की विश्वसनीयता पर लग रहे प्रश्नचिन्ह, प्रधानमंत्री की अशक्त भूमिका, सरकार के कई प्रवक्ताओ द्वारा ऊलजलूल दिए जा रहे वक्तव्यों से सरकार की निरंतर छीछालेदर हो रही है..